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supreme court delhi stray dogs | stray dogs supreme court | today's news headlines |supreme court एक कुत्ते की सज़ा मिली है सबको एक साथ, एक की ख़ता ही बन गई सब कुत्तों का अपराध। अगर इनका कोई वकील होता, ये भी बेगुनाह होते, पर जब न्याय की आवाज़ गुम हो, सब दोषी मान लिए जाते। एक दोष का बोझ सब पर डालना है ये कैसा इंसाफ़, क्या ये न्याय की परिभाषा या भ्रम का फासला है? सलाखों के पीछे शर्मनाक सन्नाटा है छाया, जिसमें बेमक़सद हर मासूम को जेल की मिट्टी ने गले से लगाया। अगर सिर्फ़ उस एक की गलती हो, हैं बाकी नादाँ कहाँ? पर ऐसा लगता है जैसे सारी दुनिया पर ही गिरी हो पाप छाँव। वकील की वाणी अगर कानों तक पहुंचती, बेगुनाहों को छूट मिलती, और न्याय की सुनवाई होती। ये कैद सिर्फ़ सलाखों की नहीं, इंसानियत का भी दमन है, जिससे हर दिल रुक-रुक कर रोता है—ये प्रतिशोध नहीं, ये दमन है। न्याय का वकील अगर पहुंचा होता—aankhon में मानवीय सवाल होता, तो एक की सज़ा पूरे समुदाय को नहीं, औरों को राहत का हल होता। लेकिन जब अदालत अँधेरी होती, जब आवाज़ दब जाती है— तब बेमानी कैद से भी ज्यादा गहरी होती है इंसानियत की चोट, वो ...